Posts

Showing posts from 2012

My Art Work (Creativity )

Image
                           मैं थी ,मैं हूँ ,मैं रहूंगी      (oil painting made with clay and  paper mache) --------------------------------------------------------------------------------------- 'Eternal Love of Radha Krishna'   OIL PAINTING  ------------------------------------------------------------------------ इंतज़ार  ------------------------------------------------------------------------------- - ------------------------------------------------------------------------------------------------- My sketch and lines dedicated to all mothers of this earth.. माँ अनंत है,माँ अनादि है ,केवल एक अध्याय नहीं है, इस सृष्टि मे माँ से बढ़कर ,दूजा कोई पर्याय नहीं है.... --------------------------------------------------------------------------------------------------------------- A real friend is one who walks in when the rest of the world walks out.......   -------------------------

Clicking with nature..

Image
                                                        “ With each sunrise, we start anew " :::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::                       Even the most beautiful days eventually have their sunsets........                            ::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::                                  In order to see birds it is necessary to become a part of the silence.                                                     मेरी छत पर Araucaria के पेड़ पर 1 सुन्दर सी चिड़िया ने घोंसला बनाया है , कल की आंधी में वो पेड़ गिर गया गमला भी टूट गया,लेकिन चिड़िया ने अपना घोंसला नहीं छोड़ा ,मैंने पेड उठाया वो मुझे देखती रही पर अपने अण्डों को छोड़कर नहीं उड़ी....... उसकी निरीह आँखे देखकर मुझे लगा मानो वो कह रही हो .... वही रखेगा मेरे घर को बलाओं से महफ

आज कुछ नया करें....

Image
सुबह से शाम , शाम से सुबह , यूँ ही बेवजह सी बीत रही है ज़िन्दगी ........... घडी की सुईयों के साथ  गोल गोल घूमती, बिना रफ़्तार की गाड़ी  सी चलती जा रही है ज़िन्दगी ....... आटा ,दाल ,नमक ,तेल  की चिंता में महीने दर महीने  खत्म हो रही है जिंदगी...... चलो आज कुछ नया करें , प्रकृति से उधार ले लें..... एक टुकड़ा आसमान, स्वछन्द उड़ान भरने के लिए .. एक ताज़ी हवा का झोंका .. अपनी प्रदूषित सांसो को मह्काने के लिए.... थोड़े से रंग इन्द्रधनुष के, अपनी बदरंग जिंदगी को  सतरंगी बनाने  के लिए... फूलों से थोडा मधुरस , अपने अंदर की कड़वाहट में फिर मिठास भरने के लिए.. तितली की चंचलता, बच्चे की तरह रूठ गयी अपनी मुस्कराहट को गुदगुदाने के लिए ... सुनहरी धूप, अपने अंतर्मन को प्रकाशमय करने के लिए... विहंगों  के कलरव, नदी की कलकल , उबती जिंदगी को मधुर संगीत की लय देने के लिए... पता है आप कहेंगे , इन सबसे घर नहीं चलता, पर ये जरूरी हैं, अपनी मर रही संवेदनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए ..... .......................................................................................